Kabir (1398–1518 CE):was a well-known Indian mystic poet and saint. His writings influenced Hinduism's Bhakti movement, and his verses are found in Sikhism's scripture Guru Granth Sahib, the Satguru Granth Sahib of Saint Garib Das Kabir Sagar of Dharamdas.Today, his poems are not only sung by Hindus and Sikhs, but also by Muslims, especially Sufis. Born in the city of Varanasi in what is now Uttar Pradesh, he is known for being critical of both organized religion and religions. He questioned what he regarded to be the meaningless and unethical practices of all religions, primarily what he considered to be the wrong practices in the Hindu and Muslim religions. During his lifetime, he was threatened by both Hindus and Muslims for his views.When he died, several Hindus and the Muslims he had inspired claimed him as theirs.
कबीर पंथ कोई धर्म या जाति नहीं, बल्कि सतगुरु कबीर साहब द्वारा दिखाया हुआ एक मार्ग है। इस मार्ग पर चलकर हर धर्म, जाति और मजहब का व्यक्ति चलकर अपने जीवन को सफल बना सकता है। यह विचार कबीर पंथाचार्य हुजूर प्रकाश मुनि ने बुधवार को मेला ग्राउंड में आयोजित कबीर पंथ के पंच शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कबीर पंथाचार्य हुजूर प्रकाश मुनि नाम साहब ने बुधवार को मेला ग्राउंड में कबीर पंथ की पवित्र श्वेत पताका फहराकर और निशान पूजा कर तीन दिवसीय श्री सदगुरु कबीर धर्मदास साहेब वंशावली पंच शताब्दी महोत्सव का शुभारंभ किया। इस मौके पर प्रकाश मुनि ने सदगुरु कबीर साहब, धन धर्म दास साहब, वचन वंश चूरामणि नाम साहब तथा वंश गुरुओं के तैल्य चित्रों पर माल्यार्पण किया। कबीर धर्म नगर दामाखेड़ा से आए संत लक्ष्मीनारायण, संत मनोहरदास ने गुरु की महिमा पाठ किया। इसके उपरांत मंच पर पंथश्री हुजूर प्रकाश मुनि विराजमान हुए, तो श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया। इस मौके पर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री थावरचंद गहलौत, महापौर विवेक शेजवलकर ने पंथश्री का स्वागत किया। निशान पूजन के बाद सतनाम सत्संग शुरू हुआ जिसमें प्रकाश मुनि ने अपने अनुयायियों का पथ प्रदर्शन करते हुए कहा कि कबीर पंथ कोई धर्म या जाति नहीं। यह सतगुरु कबीर साहब द्वारा दिखाया गया मार्ग है। उन्होंने कहा कि 25 वर्ष पहले फूललाल बघेल ने ग्वालियर आने की अर्जी लगाई थी। सतगुरु के आदेश पर यहां आया हूं। सदगुरु कबीर साहब संत शिरोमणि थे। वे बिरले थे। उन जैसा दूसरा संत आजतक नहीं हुआ। उन्होंने कभी कोई मठ या आश्रम नहीं बनाया। वे फकीर व अलमस्त थे, हालांकि उनके शिष्यों में काशी नरेश , रीवा महाराज और सेठ धर्मदास जैसे लोग रहे, लेकिन उन्होंने कभी उनसे कोई अपेक्षा नहीं की
महाकुंभ नगर। आचार्य गद्दी कबीर धर्म स्थान छावनी में मंगलवार को हजूर उदित राम साहेब की पुण्यतिथि मनाई गई। इस मौके पर उनके व्यक्तित्व एवं कबीर पंथ के विकास पर विस्तार से चर्चा हुई। आचार्य पंथ अर्धनाम साहेब ने कहा कि यह दिन विशेष है। कबीर पंथ के इतिहास में उदित नाम साहेब को विशेष रूप से याद किया जाता है। इसलिए कि साहेब ने सद्गुरु कबीर के एक मात्र दार्शनिक स्थल लहरतारा को नया स्वरूप प्रदान किया। मुख्य अतिथि भारतीय कबीर विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य महंत गुरु प्रसाद गोस्वामी ने कहा कि उदित नाम साहेब दुनिया में कबीर पंथ के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं। आज आवश्यकता है कि कबीर साहब के विचारों को फैलाने के लिए एकजुट होकर हम पहल करें। इस दिशा में मंच की स्थापना की गई। सुधाकर शास्त्री ने कहा कि उदितनाम कर्मयोगी थे। इसमें महंत साहेब रमेश दास गोस्वामी, महंत रामकिशोर दास, महंत गुरुचरण साहेब, संत धर्मेंद्र साहब आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन हनुमत प्रसाद तथा धन्यवाद ज्ञापन कालूराम, रोहित एवं संतोष ने किया।
Kabir Sahib came in the Bhakti era i.e. in the medieval period of our history. His unique and valuable Kabir Vani/poetry is an invaluable treasure to the literary world. Many secrets are hidden in those poems/ Kabir Vani that are famous as Kabir Amrit Vani, what did Lord Kabir try to teach through his poems. We have been listening to Kabir Ji’s poems since our childhood days. One may wonder, then Who is Kabir? The poet / the saint whom the whole world calls a weaver is actually God who came in human form and gave true spiritual knowledge to his beloved souls. This has been proved in all the holy scriptures ie. pious Quran Sharif, pious Vedas, holy Bible, pious Guru Granth Sahib that Kabir is God.